अयोध्या में राम के होने के 10 सबसे बड़े सबूत, जिसे मानकर SC ने कहा, जमीन रामलला की है

सुप्रीम कोर्ट ने कहा, 1934 के दंगों के बाद मुसलमानों का वहां कब्जा नहीं रहा। वह जगह पर Exclusive Poseission साबित नहीं कर पाए हैं, जबकि यात्रियों के वृतांत और पुरातात्विक सबूत हिंदुओं के हक में हैं।



कोर्ट ने कहा, 1856 से पहले हिंदू भी अंदरूनी हिस्से में पूजा करते थे। रोकने पर बाहर चबूतरे की पूजा करने लगे। फिर भी मुख्य गुंबद के नीचे गर्भगृह मानते थे इसलिए रेलिंग के पास आकर पूजा करते थे।



कोर्ट ने कहा, मुसलमान दावा करते हैं कि मस्ज़िद बनने से 1949 तक लगातार नमाज पढ़ते थे लेकिन 1856-57 तक ऐसा होने का कोई सबूत नहीं है।



सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हिंदू वहां परिक्रमा किया करते थे। लेकिन टाइटल सिर्फ आस्था से साबित नहीं होता.



कोर्ट ने कहा, गवाहों के क्रॉस एक्जामिनेशन से हिन्दू दावा झूठा साबित नहीं हुआ। ऐतिहासिक ग्रंथों, यात्रियों के विवरण, गजेटियर के आधार पर दलीलें रखीं।



सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि चबूतरा,भंडार, सीता रसोई से भी दावे की पुष्टि होती है, लेकिन टाइटल सिर्फ आस्था से साबित नहीं होता।



सुप्रीम कोर्ट ने कहा, हिन्दू अयोध्या को राम भगवान का जन्मस्थान मानते हैं। मुख्य गुंबद को ही जन्म की सही जगह मानते हैं। अयोध्या में राम का जन्म होने के दावे का किसी ने विरोध नहीं किया।



सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि बाबरी मस्जिद खाली जमीन पर नहीं बनी थी। नीचे विशाल रचना थी, वह रचना इस्लामिक नहीं थी। वहां मिली कलाकृतियां भी इस्लामिक नहीं थी।



कोर्ट ने ASI के उत्खनन को सबूत माना है। कहा है कि उसे अनदेखा नहीं कर सकते हैं।



कोर्ट ने कहा, विवादित ढांचे में पुरानी संरचना की चीजे इस्तेमाल हुईं। कसौटी का पत्थर, खंभा आदि देखा गया। ASI यह नहीं बता पाए कि मंदिर तोड़कर विवादित ढांचा बना था या नहीं। 12वीं सदी से 16वीं सदी पर वहां क्या हो रहा था, ये साबित नहीं।


नई दिल्ली. सुप्रीम कोर्ट ने अयोध्या विवाद पर फैसला सुना दिया है। कोर्ट ने विवादित जमीन रामलला के लिए दी। इसके लिए कोर्ट ने ASI की रिपोर्ट को सबूत के तौर पर माना। चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पांच जजों की बेंच ने एकमत से फैसला सुनाया। कोर्ट ने केंद्र सरकार को अयोध्या में मंदिर बनाने का अधिकार दिया है। कोर्ट ने मुस्लिम पक्ष यानी सुन्नी वक्फ बोर्ड को पांच एकड़ की वैकल्पिक जमीन देने के लिए कहा है। इसके अलावा केंद्र सरकार से एक ट्रस्ट बनाने के लिए कहा है। साल 1813 में पहली बार हिंदू संगठनों ने विवादित जमीन पर दावा किया। उन्होंने कहा कि 1528 में बाबर ने राम जन्मभूमि पर जानबूझकर मस्जिद बनवाई। दस्तावेजों के मुताबिक हिंदू पहले से यहां पूजा करते थे। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक 1045 पन्नों पर फैसला लिखा गया, जिसमें 929 पन्ने एकमत से 116 पन्ने अलग से हैं। एक जज ने फैसले से अलग राय रखी। जज के नाम का जिक्र नहीं।