भोपाल। मध्यप्रदेश की कमलनाथ सरकार अब अतिथि विद्वानों ( guest scholars ) का नाम बदलकर 'मेजबान विद्वान' करने जा रही है। उच्च शिक्षा मंत्री जीतू पटवारी ने विधानसभा में गुरुवार को एक प्रेस कांफ्रेंस ( press conference ) कर इसकी घोषणा की।
उच्च शिक्षा मंत्री जीतू पटवारी ( jitu patwari ) ने कहा कि हम भारत की सनातन सभ्यता अतिथि देवो भवः में विश्वास करते हैं, मगर दुर्भाग्य से पूर्ववर्ती बीजेपी सरकार ने अतिथियों को द्वार पर खड़ा कर रखा था, घर में प्रवेश का कोई रास्ता ही नहीं दिया था और जब अतिथि विद्वान की उमपा लिए हुए हो तो और अधिक दायित्व बनता है कि उनका आदर सत्कार किया जाता, लेकिन, उन्हें उनके हक से वंचित कर अपमानित किया गया।
पटवारी ने कहा कि अब हमारे मेहमान विद्वान मेजबान विद्वान कहलाएंगे। अब उन्हें गेस्ट नहीं होस्ट फेकल्टी कहा जाएगा। अब वे अतिथि नहीं घर के आदरणीयय होंगे।
3148 को पदस्थ किया जाएगा
उच्च शिक्षा मंत्री ने पूर्ववर्ती भाजपा सरकार पर अनेक आरोप लगाए। उन्होंने कहा कि अतिथि विद्वानों की इस दशा के लिए पिछली सरकार उत्तरदायी है। 15 सालों से कोई भी नियमित नियुक्ति नहीं की गई।
-यह विद्यार्थियों के हित में है कि कालेजों में नियमित शिक्षक पदस्थ हों। इसलिए हमने लोक सेवा आयोग से चयनित 3148 अभ्यर्थियों को पदस्थ करने का निर्णय लिया है। यह उनका और विद्यार्थियों का उचित हक भी है। इनमें से लगभग 800 अतिथि विद्वान भी हैं।
हटाए नहीं जाएंगे विद्वान
पटवारी ने कहा कि पिछली सरकार के गैरजिम्मेदाराना रवैये के कारण लगभग 4900 अतिथि विद्वानों के नियमितिकरण की कोई प्रक्रिया नहीं की। कमलनाथ सरकार ने 3 वर्षों की परीक्षा में 20 अंकों का अधिभार तथा आयु-सीमा से छूट देने का निर्णय लिया है। इससे सभी पात्र लगभग 2000 अतिथि विद्वानों को लोक सेवा आयोग के माध्यम से चयनित होने में सहायता होगी। बचे हुए अतिथि विद्वानों को भी वैधानिक चयन प्रक्रिया के पात्र बनाने में सहयोग करेंगे।
और क्या बोले पटवारी
-अतिथि विद्वानों को रोस्टर के अनुसार नियमित करने की नीति बनाएंगे।
-पीएससी से चयन न होने की स्थिति में उनको निकाला नहीं जाएगा।
-हम एक भी अतिथि विद्वान को बाहर नहीं निकालेंगे।
-इसके लिए हमने एक नीति जारी कर दी है।
-नवीन नियुक्तियों के कारण बाहर जा रहे अतिथि विद्वानों को पुनः कार्य पर रखने के लिए च्वाईस फिलिंग की प्रक्रिया भी प्रारम्भ हो गई है।
-1 जनवरी, 2020 से वे च्वाईस फिलिंग भी कर सकेंगे।
अब नया अतिथि विद्वान नहीं रखेंगे
जीतू पटवारी ने यह भी बताया कि जहां विद्यार्थियों को जरूरत है, वहां अतिथि दिव्दानों को जाना चाहिए। सरकार ने निर्णय लिया है कि अब कोई भी नहीं अतिथि विद्वान नहीं रखा जाएगा, जो अभी काम कर रहा है, उसे ही काम का अवसर मिलेगा। जीतू पटवारी ने कहा कि आरक्षण के नियमों को ध्यान में रखकर नियमितिकरण की प्रक्रिया की जाएगी।
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