फ़िल्म ग़ज़िनी बहुत ही शानदार है इसमें कोई दौराय नहीं है, लेकिन फिर भी मुझे ये फ़िल्म गलत लगती है, जिसके पीछे निम्न कारण हैं।
फ़िल्म की कहानी संक्षिप्त में ;
कल्पना (आसीन) ऐसे ही अपवाह फैला देती है कि वो एयर वॉइस कंपनी के मालिक संजय सिंघानिया की गर्लफ्रेंड है, हर जगह उसे पूर्ण फायदा मिलता है इतने बड़े आदमी की मंगेतर होने का, अब कहानी में नया ट्विस्ट तब आता है जब वो अपनी एड एजेंसी के लिए लड़को को ऑडिशन पर बुलाती है, पर अपनी मंगेतर की अपवाह सुनके संजय सिंघानिया विदेश से वापस आ जाते हैं, ये जानने के लिए कि वो कौन लड़की है जो उनके नाम का गलत इस्तेमाल करती है, ये देखने के लिए संजय आसीन के घर पहुँच जाते हैं।
घर जाते ही आसीन समझती है कि संजय ऑडिशन देने आया है और उसे वेट करने को बोलती है, अंततः उसे अंदर बुलाती है, संजय अपना। आम सचिन बतात है और चुपचाप उसे सुनता है, आखरी में वो सचिन को एक चड्ढी की advertise के लिए मना लेती है, संजय सोचता है की अभी वो अपनी पहचान गुप्त रखेगा और ऐसे ही चलने देगा जैसा चल रहा है, ऐसे ही advertise के बहाने उनका मिलना जुलना बढ़ जाता है, और संजय को भी उससे प्यार होने लगता है, और वहीँ आसीन भी संजय के प्यार में पड़ जाती है।
संजय सचिन जैसा लगने के लिए अपनी गाड़ी छोड़कर बस से यात्रा करता है, होटल्स की जगह रेहड़ी के गोलगप्पे खाने लगता है, जिससे आसीन को शक न हो की के सचिन नहीं कोई और है।
आसीन को संजय सिंघानिया से प्यार नहीं होता उसने संजय को देखा भी नहीं होता बस यूँ ही उसके नाम से उसे बहुत जगह आसानी हुई थी अपना काम कराने में, पर अब उसे उस संजय से प्यार हो गया था जो अपना नाम सचिन बताता है, अब आसीन को संजय की कोई ज़रूरत नहीं थी, सचिन को ही चाहने लगी थी।
अब कहानी में ट्विस्ट तब आता है जब आसीन किडनैप हुई लड़कियों को गुंडों से बचा लेती है पर अगले दिन गुंडे आसीन के घर उसे मारने पहुँच जाते हैं।
अब सचिन सोच रहा होता है कि आज मैं आसीन को सब सच बता दूंगा कि सचिन ही संजय सिंघानिया है, और दोनों मैं ही हूँ, यह सोचता हुआ वह बस पकड़ कर जाता है कि आज उसे बता दूंगा पर जैसे ही उसके घर पहुँचता है उसे शक हो जाता है कि यहाँ कुछ गड़बड़ है, और अंततः गुंडे आसीन को संजय के सामने ही जान से मार देते हैं और संजय को भी उसी लोहे की रोड से सर पे प्रहार करते हैं, आसीन मर जाती है और संजय पागल जो जाता है, अब वही गुंडों से बदला लेता है।
पर मुझे ये फ़िल्म गलत इसलिए लगती है क्योंकि मुझे इसका अंत हजम नहीं हुआ, अंत तक आसीन जान नहीं पाती कि जिससे उसे प्यार हो गया था वो कोई और नहीं उसकी अपवाह द्वारा फैलाया हुआ रईस एयर वोईसे कंपनी का मालिक संजय सिंघानिया ही था।
कभी कभी मुझे लगता है की मैं कभी इसकी पार्ट 2 बनाऊं और आसीन को बता पाऊँ कि सचिन ही संजय सिंघानिया है, तो कभी लगता था की आसीन को वास्तव में बताऊ की आमिर खान ही वो संजय सिंघानिया था जिसे आप सचिन समझ रहीं थी, ये तो जानती हैं ना आप..!
ये मेरी नासमझी नहीं अंदर ना हजम हुई बात है जो मैं कैसे भी चाहता हूँ की काश आसीन को पता चल पाता की सचिन ही संजय था। पहली बार ये फ़िल्म देख कर मैं रोने से ख़ुदको रोक नहीं पाया था।