क्या आपको पता है कि कोरोना मरीजों के इलाज पर हर रोज कितना खर्च होता है ?

देश के लोग घर में बंद रहकर कोरोना से लड़ रहे हैं। जो लोग कोरोना पॉजिटिव निकले वो अस्पतालों में कोविड 19 बीमारी से जंग लड़ रहे हैं। देश के 80 परसेंट से ज्यादा कोरोना पेशेंट का इलाज सरकारी अस्पतालों में हो रहा है। कुछ प्राइवेट अस्पताल भी कोरोना का इलाज कर रहे हैं लेकिन वहां वही जा रहे हैं जो आर्थिक रूप से सक्षम हैं या जब सरकार खुद वहां भेज रही हो। लेकिन आपने सोचा है कि कोरोना के एक मरीज के इलाज पर मोटा-मोटी कितना खर्च हो रहा है। पैसा सरकार दे या मरीज खुद दे, लेकिन कोरोना बीमारी से ठीक होने में कितना रुपया लग रहा है। इस खबर में कोरोना के इलाज खर्च पर बात करते हैं।


इंडिया में बुधवार की रात 9.45 बजे तक 20400 से ज्यादा कोरोना पॉजिटिव केस मिल चुके हैं जिसमें 15859 इस वक्त भी संक्रमित हैं। बाकी लोगों में 3959 ठीक हो गए जबकि 652 की मौत हो चुकी है। किस मरीज के कोरोना इलाज में कितना खर्च आएगा वो कई बातों पर निर्भर करेगा मसलन उसके शरीर में वायरस कितने गहरे तक फैला है, दूसरी क्या बीमारियां हैं, उम्र क्या है। हम ये मानकर चलते हैं कि एक सामान्य आदमी जिसे बाकी कोई दिक्कत नहीं है उसे कोरोना वायरस का संक्रमण हो गया है तो उस पर क्या खर्च होगा।


तिरुवनंतपुरम मेडिकल कॉलेज अस्पताल के एक सीनियर डॉक्टर के अनुसार कोरोना के एक सामान्य मरीज के इलाज पर औसतन 20 से 25 हजार रुपए रोजाना खर्च होता है अगर उसके इलाज में वेंटिलेटर या किसी जीवनरक्षक उपकरण का इस्तेमाल ना हो। इसका मतलब ये हुआ कि 14 दिन के इलाज में एक मरीज पर 2 लाख 80 हजार से 3 लाख 50 हजार रुपए तक का खर्च आता है। आम तौर पर मरीज को तब डिस्चार्ज करके घर जाने की इजाजत दी जाती है जब उसका लगातार तीन से पांच कोरोना टेस्ट निगेटिव निकले। कुछ मरीजों में ये टेस्ट 8 से 10 बार तक करना पड़ता है। बॉलीवुड सिंगर कनिका कपूर 6 कोरोना टेस्ट के बाद निगेटिव पाई गई थीं। 


कोरोना संदिग्ध लोगों का जो स्वैब टेस्ट होता है उसके एक टेस्ट का खर्च 4500 रुपए है जो सुप्रीम कोर्ट द्वारा इस प्राइवेट लैब के लिए इस टेस्ट की अधिकतम राशि है। टेस्ट किट की ही कीमत 3000 रुपए है। अगर किसी आदमी में कोरोना के लक्षण दिखते हैं और उसका टेस्ट होता है तो उसे एंबुलेंस से ही लाया जाता है जिसका खर्च भी सरकार उठाती है। एक बार जब मरीज अस्पताल पहुंच जाता है तो उसे आइसोलेशन वार्ड में रखा जाता है जिसके लिए एक खास निर्देश हैं। हर रूम का एक अलग टॉयलेट होना चाहिए, उस कमरे में कोई दूसरा बेड नहीं होना चाहिए, अगर मरीज उम्रदराज या दूसरी बीमारियां पहले से हैं तो फिर वहां वेंटिलेटर जरूरी है। 


कोट्टायम में 95 साल के एक बुजुर्ग और 88 साल की उनकी पत्नी एक सप्ताह से भी ज्यादा समय तक वेटिंलेटर पर रहे। कुछ प्राइवेट अस्पताल वेंटिलेटर का एक दिन के लिए 25 हजार से 50 हजार रुपए तक चार्ज करते हैं। कमरे का किराया अस्पतालों पर निर्भर करता है लेकिन सबसे सस्ता भी हो तो वो 1000 से 1500 रुपए डेली का होता है। 100 बडे के किसी भी कोविड हॉस्पिटल में 200 पीपीई किट्स की जरूरत डेली होती है क्योंकि डॉक्टर से लेकर नर्स तक को हर चार घंटे पर पर्सनल प्रोटेक्टिव इक्विपेंट्स चेंज करने होते हैं। 


अगर कोरोना वायरस का संक्रमण मरीज को बहुत ज्यादा है तो हेल्थ स्टाफ को पीपीई किट को और भी ज्यादा जल्दी चेंज करना होता है। एक पीपीई किट की कीमत 750 से 1000 रुपए है। दवाओं की जरूरत मरीज दर मरीज बदलती रहती है लेकिन कोरोना मरीजों के इलाज पर दिन भर में औसतन 500 रुपए से 1000 रुपए तक का खर्च सिर्फ दवा पर होता है। इसमें मरीज को मिलने वाले भोजन का खर्च शामिल नहीं है। 


राज्य की स्वास्थ्य मंत्री केके शैलजा कहती हैं कि कोरोना मरीजों के इलाज में पैसा कोई दिक्कत नहीं है क्योंकि मुख्यमंत्री पिनराई विजयन ने इसके लिए पूरी छुटी दी है। शैलजा कहती हैं कि हम अपने मरीजों का बेहतरीन इलाज कर रहे हैं और कुछ विदेशी जो हमारे यहां से ठीक होकर गए उन्होंने कहा है कि उन्हें बेस्ट मेडिकल ट्रीटमेंट मिला है। सरकार हालांकि कोरोना से लड़ाई में खर्च से परेशान है लेकिन राज्य के खजाने पर इसका कितना गहरा असर होगा ये आने वाले दिनों में ही पता चलेगा।